MGNREGA – दोस्तों, मैं राजू शर्मा हूँ। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के छोटे से गाँव बरहलगंज में रहता हूँ। पिछले 18 साल से प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हूँ,
लेकिन उससे भी ज़्यादा मेरे दिल के करीब है , गाँव वालों को सरकारी योजनाओं की सही जानकारी देना।
ये सब शुरू हुआ जब 2007 में मेरे साले रामप्रकाश ने मुझसे पूछा “जीजा जी, ये मनरेगा क्या बला है ?” मैं खुद भी नया था उस वक़्त ।
लेकिन धीरे-धीरे जब मैंने योजना को समझा और गांव में लोगों को उसका फायदा दिलाया, तो दिल से यही निकला ” सरकार ने एक काम की योजना बनाई है। “
पहली बार जब शांतिदेवी, जिनके घर में कमाने वाला कोई नहीं था, उन्हें मनरेगा के तहत काम मिला और पहली मजदूरी मिली, तो उनकी आँखों में जो खुशी थी, वो मैं कभी नहीं भूल सकता।
उसी दिन तय कर लिया कि इस योजना की जानकारी हर एक घर तक पहुँचाऊँगा।
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MGNREGA योजना का परिचय और पृष्ठभूमि
मनरेगा का पूरा नाम है – महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)। इसे साल 2005 में भारत सरकार ने शुरू किया।
इसका मकसद है – ग्रामीण इलाकों में हर परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार देना, वो भी मज़दूरी पर आधारित। ये योजना Ministry of Rural Development के तहत आती है।
आज के दिन तक लाखों ग्रामीण परिवारों को इससे फायदा मिला है। गाँव में बेरोज़गारी के वक्त एक सहारा बना है मनरेगा।
विस्तृत MGNREGA योजना विश्लेषण
अब बात करते हैं कि ये योजना असल में कैसे काम करती है :
मुख्य baate :
हर ग्रामीण परिवार को 100 दिन का काम देने की गारंटी
जॉब कार्ड में सभी परिवार वालों का नाम जरूर जोड़वाएं
हर काम की उपस्थिति खुद दर्ज कराएं
पंचायत में होने वाले कामों की सूचना बोर्ड पर चेक करते रहें
किसी से पैसा न दें – सब फ्री में होता है
अगर सचिव टालमटोल करे, BDO से लिखित में शिकायत करें
Latest Updates और Recent Changes
2025 में मजदूरी ₹230 तक हुई
कुछ जिलों में डिजिटल attendance लागू
Geo-tagging से काम का निरीक्षण आसान हुआ
मनरेगा ऐप से लाभार्थी अब अपनी जानकारी खुद देख सकते हैं
Frequently Asked Questions
क्या 100 दिन के बाद भी काम मिल सकता है ?
हाँ, यदि पंचायत के पास फंड हो तो और अधिक दिन भी काम मिल सकता है।
मजदूरी कितने दिन में आती है ?
15 दिन के भीतर आनी चाहिए। अगर नहीं आई तो पंचायत में शिकायत करें।
अगर कोई ग्रामीण बाहर काम करता है तो क्या योजना ले सकता है ?
अगर वह गाँव में मौजूद है और काम करना चाहता है तो ले सकता है।
क्या छात्रों को भी काम मिल सकता है ?
अगर वह 18 वर्ष से ऊपर हैं और पढ़ाई के साथ करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।
महिला और पुरुष की मज़दूरी एक जैसी है ?
जी हाँ, समान मज़दूरी का प्रावधान है।
निष्कर्ष और Action Plan
सच्ची बात तो ये है कि मनरेगा ने गाँवों में बेरोज़गारी के संकट को काफी हद तक कम किया है। ये योजना न सिर्फ़ रोज़गार देती है, बल्कि आत्मसम्मान भी लौटाती है।
अब आपकी बारी है –
जॉब कार्ड बनवाएं
पंचायत से संपर्क करें
काम की मांग करें
और योजना का पूरा लाभ उठाएं
अगर आपको कोई दिक्कत हो तो सीधे पंचायत सचिव या BDO ऑफिस जाएं। याद रखिए, ये आपका हक है।
“गाँव का विकास तभी होगा, जब हर हाथ को काम मिलेगा।”
Note – mysarkariyojanaportal.com एक निजी ब्लॉग/वेबसाइट है, जिसका उद्देश्य भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं (Sarkari Yojana), प्रमाण पत्रों, पोर्टल्स, और सरकारी सेवाओं की जानकारी आम नागरिकों तक सरल और समझने योग्य भाषा में पहुँचाना है।
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