Deen Dayal Upadhyaya Yojana – नमस्कार मित्रों ! सागर शिरसाट यहाँ बोल रहा हूँ। आज मैं आपको ले चलता हूँ एक ऐसी योजना की अनोखी दुनिया में, जिसने मेरे सरकारी करियर के आखिरी दस सालों को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया –
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana – DDU-GKY)।
भई, ये सिर्फ एक स्कीम नहीं, बल्कि गाँव के उन युवाओं के सपनों को पंख देने का जरिया है, जिन्हें हमने कभी “पिछड़ा” मान लिया था। मेरा 30 साल का अनुभव कहता है –
अगर सही तरीके से लागू हो, तो ये योजना जीवन बदल सकती है! पर…हाँ, एक बड़ा ‘पर’ है। चलिए, शुरू करते हैं।

Table of Contents
Deen Dayal Upadhyaya Yojana Policy Background: “हमारे सरकारी दिनों में जन्मी एक क्रांति”
( क्या आप जानते हैं ? DDU-GKY सिर्फ एक स्कीम नहीं, बल्कि 2009 के एक पायलट प्रोजेक्ट का विकसित रूप है !)
हमारे सरकारी दिनों में, खासकर 2010 के आसपास, एक बड़ी चिंता सताती थी: गाँवों के पढ़े-लिखे बेरोज़गार युवा। MNREGA ने रोज़गार दिया, पर स्थायी कौशल (sustainable skills) नहीं।
तब जन्म हुआ Aajeevika Skills पायलट का, जो 2014 में DDU-GKY बना। याद है, कैबिनेट नोट पर चर्चा के दौरान अफसरों की बैठक में बड़ा सवाल था: “क्या सिर्फ ट्रेनिंग देना काफी है ? नहीं भई, प्लेसमेंट तो अनिवार्य होना चाहिए!”
और देखिए, धारा 4(क) के अनुसार, यही इसकी खासियत बनी – Minimum 70% placement mandatory!
Behind-the-scenes की एक बात बताऊँ ? फंडिंग को लेकर बड़ी बहस हुई। State Govts कहतीं, केंद्र पूरा खर्च उठाए। केंद्र कहता, राज्यों को भी हिस्सेदारी करनी होगी।
आखिरकार तय हुआ 75:25 का फंडिंग मॉडल ( केंद्र:राज्य )। पर हिमाचल, उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए ये 90:10 हुआ। ये लचीलापन ही तो सफलता की कुंजी है, मेरे भाई !
Deen Dayal Upadhyaya Yojana Implementation Realities: “कागजी कार्रवाई से लेकर ग्राउंड रिपोर्ट तक का सफर”
( कागजी कार्रवाई में देरी ? हाँ, ये सबसे बड़ी चुनौती है ! )
सच कहूँ तो भई, DDU-GKY का सबसे कमज़ोर पहलू है इसकी बाईजूक्रसी (Bureaucracy)। मैंने खुद देखा कैसे एक अच्छा ट्रेनिंग प्रोवाइडर (TP), जिसके पास इंफ्रास्ट्रक्चर और एक्सपर्टीज़ थी, अप्रूवल के चक्कर में 8 महीने फँसा रहा !
क्यों ? क्योंकि उसका Project Implementation Plan (PIP) तीन बार रिजेक्ट हुआ – एक बार तो सिर्फ कवर पेज पर सिग्नेचर की जगह गलत होने के कारण! पेपरवर्क, पेपरवर्क, पेपरवर्क! ये हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है।
Common Challenges & My Tips:
- ट्रेनिंग सेंटर का इन्फ्रा: धारा 8 के अनुसार, हर सेंटर में मिनिमम 1000 sq.ft. एरिया, लैब्स, कंप्यूटर चाहिए। पर ग्रामीण इलाकों में ये मिलना मुश्किल। Insider Tip: किराए की बिल्डिंग लेते समय रजिस्टर्ड एग्रीमेंट ज़रूर करवाएँ, नहीं तो अप्रूवल रुक जाएगा।
- मार्जिन मनी (Margin Money) डूडा: TPs को प्रोजेक्ट कॉस्ट का 10% देना होता है। छोटे ऑर्गनाइजेशन्स के लिए ये बड़ी चुनौती। Solution: अपने डिस्ट्रिक्ट मैनेजमेंट यूनिट (DMU) से बात करें – कभी-कभी वे बैंक लिंकेज में मदद कर सकते हैं।
- ट्रेनिंग के बाद प्लेसमेंट: 70% प्लेसमेंट का टारगेट पूरा करने के लिए TPs को कंपनियों से टाई-अप करने होते हैं। यहाँ भी स्किल गैप दिखता है। जैसे, एक बार एक टीपी ने बढ़िया सिलाई ट्रेनिंग दी, पर लोकल बाज़ार में जॉब्स नहीं थीं। फिर क्या किया? उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से कनेक्ट किया! जी हाँ, डिजिटल इंडिया का फायदा उठाया।
Golden Mantra: कभी भी जून-मार्च के बीच में फंडिंग के लिए अप्लाई न करें। सरकारी खर्चे (expenditure) का साल खत्म होने वाला होता है। फाइनेंस विभाग की मंजूरी पाना मुश्किल हो जाता है। जनवरी-फरवरी सबसे बेस्ट टाइम है नए प्रोपोज़ल के लिए।
Deen Dayal Upadhyaya Yojana User Guidance: “अप्लाई करने का सही तरीका और सामान्य गलतियाँ”
(मेरा अनुभव कहता है – कम से कम 45 दिन लगेंगे, तैयार रहिए ! )
चलिए अब बात करते हैं आपकी – चाहे आप एक ट्रेनिंग प्रोवाइडर बनना चाहते हैं या फिर एक युवा जिसे स्किल चाहिए। Step-by-step गाइडेंस समझिए:

Deen Dayal Upadhyaya Yojana For Training Providers (How to Apply):
Deen Dayal Upadhyaya Yojana Eligibility Check
सबसे पहले, क्या आपका ऑर्गनाइजेशन Societies Registration Act, 1860 या Companies Act, 2013 के तहत रजिस्टर्ड है ? कम से कम 3 साल का अनुभव होना चाहिए। (धारा 3 देखें)।
Deen Dayal Upadhyaya Yojana State Nodal Agency (SNA) वेबसाइट
अपने राज्य की SNA वेबसाइट (जैसे महाराष्ट्र में http://majhi.kaushalya.gov.in
) पर जाएँ। “Expression of Interest (EOI)” का नोटिफिकेशन ढूंढें।
Deen Dayal Upadhyaya Yojana ka PIP तैयार करें (Project Implementation Plan)
ये सबसे क्रिटिकल स्टेप है! इसमें टारगेट सेक्टर (जैसे टूरिज्म, आईटी), कोर्स ड्यूरेशन, इन्फ्रा डिटेल्स, प्लेसमेंट प्लान, बजट एस्टीमेट सब क्लियर होना चाहिए। Warning: कॉस्ट एस्टीमेशन रियलिस्टिक हो!
Deen Dayal Upadhyaya Yojana file सबमिशन और स्क्रूटनी
ऑनलाइन सबमिट करें। फिर SNA की टीम साइट विजिट करेगी। हो सके तो DMU के अधिकारी को पहले ही इनवाइट कर लें, उनकी फीडबैक बहुत काम आती है।
MoU साइनिंग
अप्रूवल के बाद, आपको State Govt. और National Rural Livelihoods Mission (NRLM) के साथ MoU साइन करना होगा।
फंड रिलीज़
पहला इंस्टॉलमेंट (कुल का 30%) ट्रेनिंग शुरू करने से पहले मिलेगा।
सामान्य गलतियाँ जो टालनी चाहिए (Common Mistakes):
- अधूरे डॉक्यूमेंट्स: PAN, GST रजिस्ट्रेशन, ऑडिटेड अकाउंट्स – सब क्लियर कॉपी जमा करें। एक भी पेज मिस हुआ तो…फाइल पेंडिंग !
- अनरियलिस्टिक टारगेट: 100% प्लेसमेंट का वादा ? नहीं भई, सिर्फ वही प्रॉमिस करें जो पूरा कर सकें।
- बजट में गड़बड़ी: ट्रेनर सैलरी, रेंट, इलेक्ट्रिसिटी – हर आइटम का ब्रेकअप दें। “Miscellaneous” में ज़्यादा पैसा मत डालिए।
- कमज़ोर प्लेसमेंट प्लान: सिर्फ “हमारे इंडस्ट्री कॉन्टैक्ट्स हैं” लिखना काफी नहीं। कंपनी नेम्स और लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) दिखाएँ।
Deen Dayal Upadhyaya Yojana For Rural Youth ( How to Benefit ) :
- Eligibility: 15-35 साल की उम्र, गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवार से, कम से कम 5वीं पास।
- रजिस्ट्रेशन: अपने गाँव के रोज़गार सहायक (Rozgar Sahaayak) या किसान सेवा केंद्र (CSC) पर संपर्क करें। रजिस्ट्रेशन फीस? बिल्कुल जीरो!
- काउंसलिंग और चयन: आपकी रुचि और योग्यता देखकर कोर्स सजेस्ट किया जाएगा।
- फ्री ट्रेनिंग और स्टाइपेंड: ट्रेनिंग के दौरान रहना, खाना, यूनिफॉर्म सब फ्री! साथ ही मासिक स्टाइपेंड भी मिलता है (कोर्स पर निर्भर)।
- प्लेसमेंट: ट्रेनिंग खत्म होने पर इंटरव्यू लगाए जाते हैं। नौकरी मिलने पर माइग्रेशन सपोर्ट भी मिल सकता है।
टाइमलाइन: युवाओं के लिए रजिस्ट्रेशन के बाद Deen Dayal Upadhyaya Yojana ट्रेनिंग शुरू होने में कम से कम 45 दिन लग सकते हैं, क्योंकि बैच भरने का इंतज़ार होता है। धैर्य रखें !
Deen Dayal Upadhyaya Yojana : “वो विधवा महिला और उसकी सिलाई मशीन की कहानी”
(मेरा 30 साल का अनुभव कहता है – ये स्कीम सिर्फ नौकरी नहीं, आत्मविश्वास देती है!)
मुझे याद है, 2017 की बात है। नासिक के एक रिमोट गाँव में DDU-GKY की मॉनिटरिंग पर गया था।
एक विधवा महिला, शांताबाई (उम्र लगभग 32), उसने आँखों में आँसू भरकर बताया: “सर, पति गुज़र गया। दो बच्चे। घर वाले कहते थे – अब तो बोझ हो गई। फिर इस सिलाई ट्रेनिंग सेन्टर (DDU-GKY के तहत) का पता चला।
तीन महीने की ट्रेनिंग ली। अब मैं गाँव में ही छोटा सा सेंटर चलाती हूँ। महीने के 8-10 हज़ार कमा लेती हूँ। सबसे बड़ी बात ? अब मेरे बच्चे मुझे गर्व से देखते हैं।”
उसकी बातें सुनकर मेरी आँखें भर आईं। यही तो है असली विकास, भई !
और एक युवक, राजू…उसने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया। पहली सैलरी मिली तो अपने बूढ़े पिता के पैर छुए। बोला, “बाबा, अब तू आराम कर। मैं कमाऊँगा।” क्या इससे बड़ी सफलता हो सकती है?
Deen Dayal Upadhyaya Yojana ke liye मेरा आखिरी सुझाव ( Fatherly Advice ) :
- ट्रेनिंग प्रोवाइडर्स से: भई, सिर्फ सर्टिफिकेट मत बाँटो। क्वालिटी पर ध्यान दो। ये युवा देश का भविष्य हैं।
- युवाओं से: कोई कोर्स “छोटा” नहीं होता! प्लंबिंग, इलेक्ट्रीशियन, वेल्डिंग – ये स्किल्स हमेशा काम आएँगी। इंग्लिश और बेसिक कंप्यूटर सीखने की कोशिश ज़रूर करें।
- सरकारी अधिकारियों से (अगर पढ़ रहे हैं तो!): रेड टेप कम करो। प्रोसेस सिंपल करो। ट्रेनिंग सेंटर्स पर नियमित विजिट करो। सिर्फ रिपोर्ट्स में नंबर्स नहीं, असर देखो।
एक निवेदन: दीनदयाल जी ने “अंत्योदय” का सिद्धांत दिया था – समाज के सबसे निचले पायदान के व्यक्ति का उत्थान। DDU-GKY इसी को साकार करने का प्रयास है। इसे सिर्फ एक “स्कीम” न समझें। ये लाखों शांताबाई और राजुओं की आशा की किरण है। जय हिन्द!
– सागर शिरसाट
( लेखक से संपर्क: sagar@mysarkariyojanaportal.com. अब ग्रामीण युवाओं को मुफ़्त में करियर गाइडेंस देते हैं। )
नोट: इस ब्लॉग में व्यक्त विचार लेखक के निजी अनुभवों पर आधारित हैं। आधिकारिक जानकारी के लिए कृपया DDU-GKY की वेबसाइट (https://ddugky.gov.in) या अपने राज्य की ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) वेबसाइट पर जाएँ।
किसी विशिष्ट प्रोजेक्ट के लिए हमेशा लेटेस्ट गाइडलाइंस और स्थानीय अधिकारियों से सत्यापन कर लें।